तेजी से बढ़ रहा रोटो मोल्डिंग उद्योग

  • 16 Dec, 2023

अगले कुछ वर्षों में यह दोगुना होने की उम्मीद

रोटो मोल्डिंग उद्योग लगातार तरक्की की ओर बढ़ रहा है। रोटो मोल्डिंग एक प्लास्टिक मोल्डिंग तकनीक है जिसमे अन्य प्लास्टिक प्रक्रियाओं के विपरीत इसमें दबाव नहीं लगता और इसलिए अपेक्षाकृत कम उत्पादन रन बहुत आर्थिक रूप से बनाया जा सकता ।

यह उद्योग सबसे तेजी से बढ़ रहा है और अगले कुछ वर्षों में यह दोगुना हो जायेगा। यह अनुमान है की भारत के संगठित क्षेत्रों में लगभग 300 रोटोमोलडर्स और असंगठित क्षेत्रों में 2500 रोटोमोलडर हैं और इससे 700 ज्यादा रोटोमोलडर पडोसी देश जैसे बंगलादेश, नेपाल, श्रीलंका और अफ्रीका जैसे देशों में है जो ज्यादातर मशीनों, मोल्ड्स, मैनपावर, ऐडिटिव्स, मास्टरबैच तकनीकी आदि के माध्यम से भारतीय रोटोमोल्डिंग उद्योग को सेवा प्रदान करते हैं।

आज भारत में पॉलीमर की उपभोक्ता हर साल 2,50,000 टन है जिसमे से ज्यादातर एलएलडीपी है। भारत में एलएलडीपी तथा अन्य रेसिन पीपी, नायलॉन पीसी आदि 40,000 टन रोटो ग्रेड आयात किये जाते हैं। रोटो क्षेत्र में भी 3 लाख टन रीसाइकल्ड पॉलीमर का उपयोग करने का अनुमान है।

बताते चलें की रोटो उद्योग एकल उपयोग (Single Use Plastic) वाले प्लास्टिक का उत्पादन नहीं करता है। कोरोना के कारण जहाँ दूसरे उद्योग बंद पड़े थे, वहीँ दूसरी ओर रोटो उद्योग इस वक्त भी लगातार काम कर रही थी क्योंकि रोटो चिकित्सा और बाकी उपकरणों के निर्माण में सुविधा देता है।

भारत में रोटो उद्योग 65% पानी की टंकियों और 35% गैर टैंक अनुप्रयोगों (Application) जैसे मोटर वाहन, सड़क सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, मनोरंजन, अपशिष्ठ प्रबंधन, चिकित्सा आदि उत्पादों को ढांचागत (molding) करता है। हाल के रुझानों से ये भी पता चला है कि उद्योग के बड़े खिलाडी जैसे आशीर्वाद, प्रिंस, सुप्रीम, सुधाकर, ओरिपलास्ट आदि भी रोटो बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं। रोटो मोल्डिंग की सराहना करने वाली ये कंपनियां HDPE/ PVC पाइप और फिटिंग का भी उत्पादन करती हैं। विदेशी रोटोमोलडर भी भारत में व्यापार की तलाश में है।


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